महाधिवक्ता कार्यालय

महाधिवक्ता का कार्यालय भारत के संविधान के अनुच्छेद 165 के अंतर्गत एक संवैधानिक पद है। राज्यपाल, उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किए जाने के योग्य व्यक्ति को राज्य का महाधिवक्ता नियुक्त करते हैं। राज्य का महाधिवक्ता विधान सभा और विधान परिषद की कार्यवाही में बोलने और अन्यथा भाग लेने के लिए अधिकृत होता है, साथ ही उन समितियों की कार्यवाही में भी भाग ले सकता है जिनमें उसे सदस्य नामित किया गया हो।

महाधिवक्ता का पद एक सार्वजनिक पद है और वे राज्य के मुख्य विधिक सलाहकार होते हैं। न्यायालयों ने यह माना है कि किसी सरकारी अधिवक्ता या अन्य विधि पदाधिकारी द्वारा किया गया समझौता सरकार पर बाध्यकारी नहीं होता जब तक कि वह किसी जिम्मेदार अधिकारी के निर्देश पर आधारित न हो। किंतु, यह छूट महाधिवक्ता को प्राप्त नहीं है, क्योंकि उनसे अपेक्षा की जाती है कि वे पूरी जिम्मेदारी के साथ वक्तव्य दें।

बिहार राज्य में, माननीय पटना उच्च न्यायालय में राज्य की ओर से पैरवी करने हेतु विभिन्न श्रेणियों के विधि पदाधिकारी नियुक्त किए जाते हैं। बिहार विधि पदाधिकारी (नियोजन) नियमावली, 2023 के अनुसार, महाधिवक्ता कार्यालय में निम्नलिखित श्रेणियों के विधि पदाधिकारी हैं:

  • अतिरिक्त महाधिवक्ता
  • सरकारी अधिवक्ता
  • सरकारी वकील (Government Pleader)
  • स्थायी अधिवक्ता (Standing Counsel)

राज्य की ओर से आपराधिक मामलों की पैरवी हेतु निम्नलिखित विधि पदाधिकारी नियुक्त किए जाते हैं:

  • अतिरिक्त लोक अभियोजक (वरिष्ठ पैनल)
  • अतिरिक्त लोक अभियोजक
  • विशेष लोक अभियोजक (अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति अधिनियम के अंतर्गत)

इसके अतिरिक्त, माननीय महाधिवक्ता एवं अन्य विधि पदाधिकारियों की सहायता के लिए पर्याप्त संख्या में सहायक अधिवक्ता नियुक्त हैं। शोध कार्यों के लिए अनुसंधान अधिवक्ता (Research Counsels) भी नियुक्त किए जाते हैं, जो माननीय महाधिवक्ता, बिहार के निर्देशन में कार्य करते हैं।

माननीय सर्वोच्च न्यायालय में राज्य की ओर से पैरवी हेतु निम्नलिखित विधि पदाधिकारी नियुक्त होते हैं:

  • अतिरिक्त महाधिवक्ता
  • स्थायी अधिवक्ता
  • अतिरिक्त स्थायी अधिवक्ता

विधि पदाधिकारी, बिहार विधि पदाधिकारी (नियोजन) नियमावली, 2023 के प्रावधानों के अंतर्गत नियुक्त किए जाते हैं।

कार्य

इस विभाग की मुख्य गतिविधि माननीय पटना उच्च न्यायालय, प्रशासनिक न्यायाधिकरणों, उपभोक्ता विवाद निवारण मंचों, राज्य/राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग तथा माननीय सर्वोच्च न्यायालय में राज्य सरकार और उसके विभागों के हितों की रक्षा करना है।

महाधिवक्ता इस विभाग के प्रमुख होते हैं और राज्य सरकार के मुख्य विधिक सलाहकार होते हैं। उनकी देखरेख में अतिरिक्त महाधिवक्ता, सरकारी अधिवक्ता, सरकारी वकील, स्थायी अधिवक्ता, अतिरिक्त लोक अभियोजक, विशेष लोक अभियोजक आदि को नियुक्त किया गया है। सभी विधि पदाधिकारी महाधिवक्ता के मार्गदर्शन और पर्यवेक्षण में कार्य करते हैं। महाधिवक्ता को सभी प्रशासनिक और वित्तीय शक्तियाँ प्रदान की गई हैं।

कार्यालय के दैनिक प्रशासनिक कार्य अधिकृत अधिकारी द्वारा देखे जाते हैं, जिन्हें अन्य अनुभागीय अधिकारी तथा सहायक अधिकारी सहयोग करते हैं। महाधिवक्ता न केवल माननीय उच्च न्यायालय बल्कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय में भी राज्य के मामलों की देखरेख करते हैं। उन्हें विवादों एवं अन्य विधिक प्रभाव वाले मुद्दों में भी परामर्श के लिए आमंत्रित किया जाता है। उच्च न्यायालय में वे उन मामलों की पैरवी करते हैं जिनमें राज्य सरकार के लिए गंभीर और दूरगामी प्रभाव होते हैं। महाधिवक्ता बिहार राज्य बार काउंसिल के पदेन सदस्य (Ex-Officio Member) होते हैं और ट्रस्टी समिति के अध्यक्ष भी होते हैं।

अतिरिक्त लोक अभियोजक आपराधिक मामलों की देखरेख करते हैं तथा विशेष लोक अभियोजक भी महाधिवक्ता के अधीन कार्य करते हैं। विभिन्न विषयों से संबंधित कार्य महाधिवक्ता के निर्देशानुसार अलग-अलग विधि पदाधिकारियों में बाँटा जाता है। इसी प्रकार आपराधिक मामलों का कार्य भी अतिरिक्त लोक अभियोजकों, विशेष लोक अभियोजकों एवं विशेष रूप से संलग्न अधिवक्ताओं में विभाजित होता है। सभी विधि पदाधिकारी विधि पदाधिकारी (नियोजन) नियमावली, 2023 से शासित होते हैं। इन नियमों का अनुप्रयोग जिला सरकारी वकीलों, लोक अभियोजकों, अतिरिक्त लोक अभियोजकों एवं सर्वोच्च न्यायालय में उपस्थित अधिवक्ताओं पर भी होता है। विधि पदाधिकारियों को राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर निर्धारित मासिक मानदेय प्रदान किया जाता है।

दायित्व

महाधिवक्ता उच्च न्यायालय, सर्वोच्च न्यायालय, विवाद न्यायाधिकरण आदि में महत्वपूर्ण संवैधानिक और अन्य मामलों में राज्य सरकार का पक्ष रखते हैं और सरकार की कार्रवाइयों का बचाव करते हैं। उन्हें सरकार के विभिन्न विभागों द्वारा विधिक मामलों में परामर्श हेतु संदर्भित प्रश्नों पर विधिक मत देने का भी दायित्व सौंपा गया है।

महाधिवक्ता, महाधिवक्ता कार्यालय, बिहार के प्रमुख हैं।